भरतपुर - पिछले साल के मुकाबले देश-प्रदेश के शहरों की साफ-सफाई में कोई खास परिवर्तन आया हो या नहीं। लेकिन, स्वच्छता सर्वेक्षण में इनकी रैंकिंग में बड़ा उछाल आया है। ऐसा इस बार एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों को दो वर्गों में बांट देने के कारण हुआ है।
अगर पिछले साल की तरह एक ही सूची जारी की जाती तो टॉप थ्री शहरों को छोड़कर भरतपुर समेत सभी शहरों की वास्तविक रैंकिंग कुछ और ही होती।
भरतपुर को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) कैटेगरी में 500 में से जीरो और गारबेज फ्री सिटी कैटेगरी में 1000 में से जीरो नंबर मिले हैं। यहां तक कि सर्विस लेवल प्रोग्रेस में भी केवल 13 प्रतिशत अंक मिले हैं। इसके बावजूद पिछले सालों की तुलना में स्वच्छता रैंकिंग में काफी सुधार आने का नगर निगम ने दावा किया है।
10 लाख से अधिक आबादी वाले 47 शहरों को सूची से अलग करने पर बदल गए आंकड़े
केन्द्रीय आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय देशभर में स्वच्छता सर्वेक्षण पर रिपोर्ट जारी करता है। सर्वेक्षण का यह काम बहुराष्ट्रीय मार्केट रिसर्च कंपनी इप्सोस के माध्यम से हुआ है। सर्वेक्षण और अंकों के वितरण का तरीका पिछले साल की अपेक्षा इस साल काफी बदल दिया गया। ऐसे में किसी भी शहर की रैंकिंग की तुलना पिछले साल की रैंकिंग से नहीं की जा सकती।
पिछले साल एक लाख से ज्यादा आबादी वाले 425 शहरी निकायों की रैंकिंग जारी की गई थी। लेकिन, इस साल सर्वे में एक लाख से ज्यादा आबादी वाले 429 शहरी निकायों को शामिल किया गया। मंत्रालय ने इनमें से 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 47 शहरों को अलग कर दिया। इससे रैंकिंग का पूरा मामला ही बदल गया।
अगर इन शहरों को अलग नहीं किया जाता तो अधिकांश शहर घोषित रैंकिंग से कई पायदान नीचे होते। उदाहरण के तौर पर इस साल पटना 47 वीं रैंक पर है। यदि पिछले साल की तरह सभी शहरों की एक ही सूची जारी होती तो पटना की रैंक 378 वीं होती। इसी तरह चेन्नई 45 वें स्थान के बजाए 312 वें स्थान पर होता।
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