मथुरा गेट थाने के सामने सुबह करीब 8.45 बजे जनरल स्टोर पर हुई हत्या
हत्या के आरोपी लड़के के चाचा ने सुबह कहा था "आज किसी की हत्या होगी"
भरतपुर में 12 साल के एक लड़के ने अपने चाचा के कहने पर दोस्त की हत्या कर दी। हत्या के आरोपी लड़के के चाचा ने सुबह ही कहा था कि आज किसी का मर्डर होगा। गोली चलाने वाला लड़का खलनायक वाली सोच से प्रभावित था और पिछले दो सालों से लगातार सोशल मीडिया पर ऐसे ही पोस्ट डाल रहा था।
भरतपुर के मथुरा गेट थाने के ठीक सामने 100 मीटर दूर जनरल स्टोर पर सोमवार सुबह 8.45 बजे 12 वर्षीय बच्चे ने पड़ोसी बच्चे की कनपटी पर देशी कट्टा रखकर ट्रिगर दबा दिया। इससे 12 वर्षीय बालक यशवंत उर्फ देव की मौके पर ही मृत्यु हो गई। घटना के समय मृतक दुकान पर बैठकर कुरकुरे खा रहा था। परिजनों का आरोप है कि नाबालिग बच्चे को यह लोडेड कट्टा उसके चाचा विष्णु उर्फ बबलू ने दिया था।
सुबह ही कहा था: आज किसी का र्मडर होगा
बबलू सुबह इससे पहले भी 315 बोर के उस देशी कट्टे और 2 कारतूस हाथ में लेकर दुकान पर आया था और बोला कि उसके हाथों इससे किसी का मर्डर होगा। तब 8-10 लोगों ने समझाकर उसे घर में भेज दिया था। लेकिन, कुछ देर बाद वह फिर से कट्टा लेकर आ गया और उसने अपने भतीजे के हाथ में दे दिया। घटना के संबंध में परिजनों ने नाबालिग समेत 4 जनों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया है। इसमें अजय, बबलू और महावीर को आरोपी बनाया गया है।
पुलिस ने नाबालिग के साथ एक अन्य आरोपी महावीर को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि अजय और विष्णु उर्फ बबलू फरार हैं। बिजलीघर के पास रहने वाले मृतक के पिता जयपाल ने एफआईआर में कहा है कि उसके पड़ोसी विष्णु उर्फ बबलू ने बेटे यशवंत को दूसरा बच्चा भेजकर घर से दुकान पर बुलाया था। फिर उसने अपने भतीजे के हाथ में कट्टा देकर यशवंत के माथे पर निशाना साधकर चलाने को कहा। इस पर नाबालिग ने ट्रिगर दबा दिया। गोली यशवंत के माथे से पार निकल गई।
मृतक के बड़े भाई के नौकरी छोड़ने से नाराज थे आरोपी
आवाज सुनकर जब वह और उसका बड़ा बेटा उमाशंकर दौड़कर मौके पर गए तो महावीर, अजय और बबलू वहां खड़े थे। मौके वह नाबालिग भी था, जिसने गोली चलाई थी। उसके हाथ में कट्टा भी लगा हुआ था। जबकि यशवंत मौके पर जमीन में पड़ा था। उनके पहुंचते ही सभी आरोपी वहां से भाग गए। उनका कहना है कि मृतक बच्चे के बड़े भाई उमाशंकर ने कुछ दिन पहले आरोपियों की दुकान से नौकरी छोड़ दी थी। इसी से वे खफा थे।
नाबालिग आरोपी का एक चाचा हत्या के मामले में काट चुका है 5 साल की सजा,
अब आरोपी के दोनों चाचा हैं फरार
ये मासूम हुआ शिकार
अजय उर्फ अज्जू ने विष्णु को रखने के लिए दिया था देशी कट्टा
पुलिस के मुताबिक अब तक की जांच से पता चला है कि यह अवैध 315 बोर का देशी कट्टा अजय ठाकुर उर्फ अज्जू का है। उसी ने यह कट्टा विष्णु उर्फ बबलू को रखने के लिए दिया था। अजय आदतन अपराधी है। वह पहले भी एक सरदार की हत्या के एक मामले में 5 साल की सजा काट चुका है।
पुलिस अभी अजय और विष्णु की तलाश कर रही है। क्योंकि दोनों ही फरार हैं और जिस कट्टे से गोली चली, वह भी इन्हीं में से किसी एक के पास है। मथुरा गेट थाना प्रभारी राजेंद्र शर्मा ने बताया कि गोली मारने वाले नाबालिग को हिरासत में ले लिया है। जबकि हथियार लेकर भागे युवकों को भी जल्दी ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
अवैध हथियारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती पुलिस
जिले में अवैध हथियारों की तस्करी और अवैध खरीद-बेचान के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मेवात के जुरहरा, कामां, पहाड़ी और भुसावर इलाके में तो अवैध हथियार बनते भी हैं। जयपुर, दौसा पुलिस और एसओजी टीम आकर हमारे जिले में पिछले दिनों अवैध हथियार पकड़ भी चुकी है। लेकिन, भरतपुर पुलिस की इसमें काफी ढिलाई है। इस साल पूरे जिले में केवल 47 अवैध हथियार पकड़े गए हैं। इनमें 7 तो अकेले शहर के मथुरा गेट थाना पुलिस ने पकड़े हैं। जबकि पिछले साल शुरू के 6 महीने में ही 119 अवैध हथियार बरामद किए गए थे।
मथुरा गेट थाने के सामने सोमवार को जिस नाबालिग बच्चे ने 12 साल के साथी बच्चे को गोली मारी, उसके आठवीं बोर्ड परीक्षा में 72 फीसदी अंक हैं। यह लड़का पढ़ने में होशियार है। लेकिन, उसकी सोच किस दिशा में जा रही है, इस ओर अगर परिजनों ने ध्यान दिया होता तो हत्याकांड जैसी घटना नहीं होती। इस लड़के ने काफी समय पहले ही फेसबुक पर अपना अकाउंट खोल लिया था। उसके अकाउंट का नाम है, “ठाकुर खलनायक”। तीन दिन पहले ही उसने पोस्ट डाली थी। जिसमें लिखा, “ कागजों पर तो अदालतें चलती हैं,
, हम तो डिफॉल्टर छोरे हैं, फैसला ऑन दा स्पॉट करते हैं। (मि. खलनायक) नाम तो सुना ही होगा।” कई महीनों से वह ऐसी हो पोस्ट डाल रहा था।
ऐसे तेवर का जिम्मेदार कौन?
3 दिन पहले सोशल मीडिया पर किया पोस्ट... ‘‘कागजों पर तो अदालतें चलती हैं, हम तो फैसला ऑन द स्पॉट करते हैं।
हत्या का आरोपी लगातार सोशल मीडिया पर लगातार अपराध की दुनिया से प्रभावित पोस्ट डाल रहा था।
इससे पहले उसने एक पोस्ट में लिखा “खून में उबाल, वो आज भी खानदानी है, दुनिया हमारे शौक की नहीं, हमारे तेवर की दीवानी है।” दूसरी पोस्ट में लिखा “ऑल द रूल्स आर मेड…टू ब्रेक”। पोस्ट लिखने का यह सिलसिला दो साल से चल रहा था। अगर, अभिभावक उस पर नजर रखते तो उसके मन में साहस के रूप में विकसित हो रही हिंसा की चिंगारी को भड़कने से रोका जा सकता था।
आरोपी की मां बोली-काश! स्कूल खुले होते तो ये दिन न देखना पड़ता
इधर, विवेक की मां ने बताया कि वह पढ़ने में काफी अच्छा है। इस साल भी नौंवी की परीक्षा में वह अच्छे अंकों से पास हुआ है। काश, स्कूल खुले होते तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता। वह कहती हैं कि फेसबुक छोड़िए, हमने तो अपने किसी बच्चे के हाथ में कभी मोबाइल तक भी नहीं दिया।
एक खास उम्र में थ्रिल बच्चों को आकर्षित करता है। वास्तविकता का पता लगाने के लिए गंभीर विश्लेषण की जरूरत होती है। प्रथमदृष्टया लगता है कि बच्चे ने हिंसा को साहस और शौर्य के रूप में ही समझा। कुछ कामों को करने पर बच्चों को ऐसा लगता है कि वह शक्तिमान बन जाएंगे। उनमें अलग तरह की क्षमता विकसित हो जाएगी। - प्रज्ञा देशपांडे, चाइल्ड साइक्लॉजिस्ट
आपराधिक पृष्ठभूमि के रिश्तेदार को समाज ने डर के कारण इज्जत देना शुरू किया होगा। उसके मन में भी यह भावना विकसित हुई होगी कि कभी अपराध हो गया तो छोटी-मोटी सजा के बाद वह भी छूट जाएगा। होनहार बच्चे के अपराधीकरण के लिए उसके माता-पिता और आस-पड़ोसी सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं।
प्रो. राजीव गुप्ता, समाजशास्त्री
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