कामां। इस बार होलिका दहन के अवसर पर वृक्षो की अनावश्यक कटाई रोकने और कोरोना वायरस से मुक्ति तथा गोवंश के संरक्षण व संवर्धन के लिए कस्बा में संचालित कामवन जीव सेवा समिति द्वारा अनूठी पहल शुरू की गई है जिसके अंतर्गत इस बार होलिका दहन पेड़ों की लकड़ियों की बजाय गोबर से निर्मित गौ-काष्ठ करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है समिति द्वारा इस बार पंचायती गोपाल जी मंदिर में के सामने गौ-काष्ठ से सामूहिक होली जलाई जाएगी जिसमें गोबर से निर्मित लकड़ियों सहित लोंग व कपूर का भी उपयोग होगा |इस हवन रूपी होलिका दहण से पर्यावरण शुद्ध होगा कोरोना वायरस से भी मुक्ति मिलेगी| साथ ही गौशालाओं को प्रत्यक्ष रुप से सहयोग भी प्राप्त होगा| गौ सेवक कामवन सेवा समिति के सदस्य श्रीराम गर्ग व कमल कपूर ने बताया कि समीपवर्ती क्षेत्रों जरखोड धाम, उत्तर प्रदेश के गांव खिटावटा व धमसींगा में संचालित गौशाला में बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर गोबर से लकड़ियों का निर्माण किया जा रहा है यह गौकाष्ठ देखने में हल्की लेकिन अंदर से ठोस होती है इसमें छेद होने के कारण जलाने में भी मशक्कत नहीं करनी पड़ती यह लकडी हवन व अंतिम संस्कार के लिए भी श्रेष्ठ होती है| इस बार पंचायती गोपाल जी मंदिर में कामवन जीव सेवा समिति द्वारा मोहल्ले वासियों के सहयोग से सामूहिक होली जलाई की जिसमें 20 क्विंटल गै-काष्ठ का प्रयोग होगा 20 क्विंटल गोबर से बनी लकड़िया मनाई गई है|
कामां। इस बार होलिका दहन के अवसर पर वृक्षो की अनावश्यक कटाई रोकने और कोरोना वायरस से मुक्ति तथा गोवंश के संरक्षण व संवर्धन के लिए कस्बा में संचालित कामवन जीव सेवा समिति द्वारा अनूठी पहल शुरू की गई है जिसके अंतर्गत इस बार होलिका दहन पेड़ों की लकड़ियों की बजाय गोबर से निर्मित गौ-काष्ठ करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है समिति द्वारा इस बार पंचायती गोपाल जी मंदिर में के सामने गौ-काष्ठ से सामूहिक होली जलाई जाएगी जिसमें गोबर से निर्मित लकड़ियों सहित लोंग व कपूर का भी उपयोग होगा |इस हवन रूपी होलिका दहण से पर्यावरण शुद्ध होगा कोरोना वायरस से भी मुक्ति मिलेगी| साथ ही गौशालाओं को प्रत्यक्ष रुप से सहयोग भी प्राप्त होगा| गौ सेवक कामवन सेवा समिति के सदस्य श्रीराम गर्ग व कमल कपूर ने बताया कि समीपवर्ती क्षेत्रों जरखोड धाम, उत्तर प्रदेश के गांव खिटावटा व धमसींगा में संचालित गौशाला में बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर गोबर से लकड़ियों का निर्माण किया जा रहा है यह गौकाष्ठ देखने में हल्की लेकिन अंदर से ठोस होती है इसमें छेद होने के कारण जलाने में भी मशक्कत नहीं करनी पड़ती यह लकडी हवन व अंतिम संस्कार के लिए भी श्रेष्ठ होती है| इस बार पंचायती गोपाल जी मंदिर में कामवन जीव सेवा समिति द्वारा मोहल्ले वासियों के सहयोग से सामूहिक होली जलाई की जिसमें 20 क्विंटल गै-काष्ठ का प्रयोग होगा 20 क्विंटल गोबर से बनी लकड़िया मनाई गई है|
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