जोधपुर की बेटी शिप्रा शर्मा अफगानिस्तान के काबुल में 14 जनवरी को हुए एक आंतकी हमले ने जान ले ली. जिसका शव शुक्रवार को जोधपुर पहुँचा ।जहां उनका अंतिम संस्कार किया ।उस दौरान कार्यक्रम में शामिल होने आए लोगो की आंखे भर गई ।
शिप्रा वहां पीड़ितों का दर्द बांटने के लिए गई थी. लेकिन आंतकियों ने शिप्रा को अपना निशाना बनाकर उसके परिवार को कभी ना भूल सकने वाला दर्द दे दिया. शिप्रा का शव शुक्रवार दोपहर बाद जोधपुर स्थित उसके घर लाया गया तो हर किसी की आंखें नम हो गई.शिप्रा शर्मा मुंबई के एनजीओ से जुड़ी हुई थी और तीन माह पहले ही सेवा के जज्बे के साथ काबुल गई थी. अफगानिस्तान में आतंकवाद से प्रभावित लोगों की सेवा के लिए काम कर रही थी. वह काबुल में अफगानिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर सिविल सोसायटी के साथ जुड़ी हुई थी. 14 जनवरी की शाम को काबुल के ग्रीन विलेज कंपाउंड को जहां वह रह रही थी उस परिसर से आतंकियों ने आरडीएक्स भरे ट्रक से टकराकर उड़ा दिया. आतंकी हमले से कुछ देर पहले ही शिप्रा ने जोधपुर में अपनी मां और परिवार के के साथ साढ़े सात बजे वीडियो कॉल से बात की थी. उसने अपनी मां को कहा था कि वह सकुशल पहुंच गई है, लेकिन कुछ देर बाद 8 बजे ही धमाके ने उसकी जान ले ली । वही अशोक गहलोत व सचिन पायलट ने ट्वीट कर शोक जताया
शिप्रा ने अपना कैरियर पहले पिता की कंपनी से शुरू किया बाद में वह मुंबई में एनजीओ ज्वॉइन कर लिया.इस बीच शिप्रा जोधपुर लौटी तो जल भागीरथी फाउंडेशन के साथ काम किया. शिप्रा ने जोधपुर में स्नातक स्तर की पढ़ाई की. उसके बाद लंदन की स्कूल आफ ऑरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज से मास्टर डिग्री हासिल की थी. मुंबई में एनजीओ में काम करने के दौरान अफगानिस्तान जाने की सोची. शिप्रा बीते तीन माह से काबुल में अफगानिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर सिविल सोसायटी के साथ काम कर रही थी.
शिप्रा वहां पीड़ितों का दर्द बांटने के लिए गई थी. लेकिन आंतकियों ने शिप्रा को अपना निशाना बनाकर उसके परिवार को कभी ना भूल सकने वाला दर्द दे दिया. शिप्रा का शव शुक्रवार दोपहर बाद जोधपुर स्थित उसके घर लाया गया तो हर किसी की आंखें नम हो गई.शिप्रा शर्मा मुंबई के एनजीओ से जुड़ी हुई थी और तीन माह पहले ही सेवा के जज्बे के साथ काबुल गई थी. अफगानिस्तान में आतंकवाद से प्रभावित लोगों की सेवा के लिए काम कर रही थी. वह काबुल में अफगानिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर सिविल सोसायटी के साथ जुड़ी हुई थी. 14 जनवरी की शाम को काबुल के ग्रीन विलेज कंपाउंड को जहां वह रह रही थी उस परिसर से आतंकियों ने आरडीएक्स भरे ट्रक से टकराकर उड़ा दिया. आतंकी हमले से कुछ देर पहले ही शिप्रा ने जोधपुर में अपनी मां और परिवार के के साथ साढ़े सात बजे वीडियो कॉल से बात की थी. उसने अपनी मां को कहा था कि वह सकुशल पहुंच गई है, लेकिन कुछ देर बाद 8 बजे ही धमाके ने उसकी जान ले ली । वही अशोक गहलोत व सचिन पायलट ने ट्वीट कर शोक जताया
शिप्रा ने अपना कैरियर पहले पिता की कंपनी से शुरू किया बाद में वह मुंबई में एनजीओ ज्वॉइन कर लिया.इस बीच शिप्रा जोधपुर लौटी तो जल भागीरथी फाउंडेशन के साथ काम किया. शिप्रा ने जोधपुर में स्नातक स्तर की पढ़ाई की. उसके बाद लंदन की स्कूल आफ ऑरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज से मास्टर डिग्री हासिल की थी. मुंबई में एनजीओ में काम करने के दौरान अफगानिस्तान जाने की सोची. शिप्रा बीते तीन माह से काबुल में अफगानिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर सिविल सोसायटी के साथ काम कर रही थी.
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